Meghdoot (literally "cloud messenger") is a lyric poem written by Kalidasa, considered to be one of the greatest Sanskrit poets.
A poem of 111 stanzas, it is one of Kalidasa's most famous works. The work is divided into two parts, Purvamegh and Uttaramegh. It recounts how a yaksha, a subject of King Kubera (the god of wealth), after being exiled for a year to Central India for neglecting his duties, convinces a passing cloud to take a message to his wife at Alaka on Mount Kailasa in the Himalaya mountains. The yaksha accomplishes this by describing the many beautiful sights the cloud will see on its northward course to the city of Alaka, where his wife awaits his return.
मेघदूत महाकवि कालिदास द्वारा रचित विख्यात दूतकाव्य है। इसमें एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है। निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है। वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है। कामार्त यक्ष सोचता है कि किसी भी तरह से उसका अल्कापुरी लौटना संभव नहीं है, इसलिए वह प्रेमिका तक अपना संदेश दूत के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है। अकेलेपन का जीवन गुजार रहे यक्ष को कोई संदेशवाहक भी नहीं मिलता है, इसलिए उसने मेघ के माध्यम से अपना संदेश विरहाकुल प्रेमिका तक भेजने की बात सोची। इस प्रकार आषाढ़ के प्रथम दिन आकाश पर उमड़ते मेघों ने कालिदास की कल्पना के साथ मिलकर एक अनन्य कृति की रचना कर दी|
Meghdoot (буквально "облако посланник") является лирическая поэма, написанная по Калидаса, считается одним из величайших санскритских поэтов.
Поэма 111 строф, он является одним из самых известных произведений Калидаса-х годов. Работа разделена на две части, Purvamegh и Uttaramegh. Это рассказывает, как якша, предметом короля Куберы (бог богатства), после изгнания в течение года Центральной Индии пренебрежения своими обязанностями, убеждает проходной облако принять сообщение с женой в Алака на горе Кайлас в Гималаи. Якша это достигается путем описания много красивых достопримечательностей облако увидите на его север курс на город Алака, где его жена ждет его возвращения.
मेघदूत महाकवि कालिदास द्वारा रचित विख्यात दूतकाव्य है. इसमें एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है. निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है. वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है. कामार्त यक्ष सोचता है कि किसी भी तरह से उसका अल्कापुरी लौटना संभव नहीं है, इसलिए वह प्रेमिका तक अपना संदेश दूत के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है. अकेलेपन का जीवन गुजार रहे यक्ष को कोई संदेशवाहक भी नहीं मिलता है, इसलिए उसने मेघ के माध्यम से अपना संदेश विरहाकुल प्रेमिका तक भेजने की बात सोची. इस प्रकार आषाढ़ के प्रथम दिन आकाश पर उमड़ते मेघों ने कालिदास की कल्पना के साथ मिलकर एक अनन्य कृति की रचना कर दी |